बरगढ़, ओडिशा. किसान आत्महत्याओं की कई घटनाओं के एक वर्ष बीतने के बाद भी केंद्र और राज्य की बीजेपी और बीजेडी दोनों सरकारें बजाय इसे रोकने की दिशा में किसी ठोस कदम उठाने के घड़ियाली आँसू बहाने में जुटी हैं।
एआईपीएफ़, ओडिशा की ओर से 8 सदस्यीय प्रतिनिधि दल ने 11,12 जून को बारगढ़ जिले के 5 ब्लॉकों, सोहेला, बरपल्ली, भटली, अतावीरा का यहाँ हुईं किसान आत्महत्यायों के सिलसिले में दौरा किया और मृत किसानों के 8 परिवारों के सदस्यों से मुलाक़ात की। पिछले कुछ समय में बरगढ़ जिले में खासकर किसान आत्महत्या की कई घटनाएं में प्रकाश में आईं। कुछ समय पहले इस इलाके में राज्य की बीजेडी सरकार ने काफी बड़े ताम-झाम के साथ एक किसान सभा की थी जिस पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए।। इसी जिले में इन मुद्दों पर राहुल गांधी की भी पदयात्रा का आयोजन किया गया। कुछ ही दिनों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस इसी इलाके में सभा की और जनता से तमाम वायदे किए। इनमें से किसी ने भी किसानों की बेहतरी के रास्ते में एक कदम भी नहीं बढ़ाया और यहाँ तक कि प्रशासनिक स्तर पर भी कोई हलचल नहीं दिखी।
साफ दिखता है कि इस तरह की सभाएं महज वोट के लिए और खुद के प्रचार के लिए की जा रही हैं। हम इनकी निंदा करते हैं। राज्य सरकार लगातार इन आत्महत्यायों को किसान आत्महत्या मानने से इनकार करती रही है। हमने पाया कि कम बारिश, प्राकृतिक आपदाओं के कारण खेती को हुए नुकसान, फसलों की कम बिक्री और भयनाक कर्जे वे कुछ खास कारण हैं जिनके नाते किसानों की खासकर सीमांत किसानों और बंटाईदारों की आत्महत्या की घटनायेँ लगातार सामने आ रही हैं।
गैर सिंचाई युक्त जमीन की सिंचाई करने के लिए राज्य सरकार ने O.L.I.C. (Odisha lift irrigation corporation) के माध्यम से बोरवेल लगाने के लिए करोड़ों रुपये किसानों से इकट्ठे किए पर नतीजे शून्य निकले। इस मामले को चिटफंड घोटाले की तर्ज पर देखा जा सकता है। किसान परिचय पत्र को जारी न होने के कारण किसान धान की फसल मंडी में भी नहीं बेच पा रहे हैं जिसका फायदा दलाल कम लागत पर इसे खरीद कर उठा ले जाते हैं और किसानों के शोषण में एक कड़ी और जुड़ जाती है।
कल्याणकारी राज्य के बतौर वृद्ध महिला-पुरुष को दी जाने वाली वृद्धावस्था पेंशन तक की सुविधा भी इस इलाके में हासिल नहीं हो पा रही है। उर्वरक, कीटनाशक और बीजों के दाम दस गुना बढ़ गए है पर धान की लागत में कोई बढ़होतरी नहीं हुई है। सूखा प्रभावित इलाकों में किसानों को दी जाने वाली लागत-छूट न के बराबर है। बरगढ़ में बीजेपी की किसान-सभा में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने खेती और किसानों के लिए एक भी ठोस घोषणा नहीं की। नवीन पटनायक के प्रति क्विंटल धान पर 100 रुपये के बोनस की घोषणा भी हवाई साबित हुई। मनरेगा योजना पूरी तरह से ठप पड़ी है और इसे लागू करने की सरकार और प्रशासन के पास कोई योजना भी नहीं है। बातचीत के दौरान लोगों ने साफ कहा की ‘जय जवान किसान की बात महज जबानी जमाखर्च है; केंद्र और राज्य दोनों सरकारों का किसानों के प्रति न तो कोई सम्मान है और न ही संवेदना है।’
एआईपीएफ़ मांग करता है कि किसानों की आत्महत्या को सरकार अविलंब स्वीकार करे और आश्रितों को उचित मुआवाजा दे एवं बैंकों और कोपरेटिव से लिए गए उनके कर्जों को माफ करें। अविलंब सिंचाई की सुविधा मुहैया कराई जाएँ। सभी किसानों को किसान परिचय पत्र दिया जाय और मंडी में धान की बिक्री के लिए जरूरी सुविधाएं दी जाएँ और दलालों को हटाया जाये। ‘महात्मा गांधी जातीय ग्रामीण नियुक्ति योजना’ के माध्यम से 200 दिनों का काम सुनिश्चित किया जाये। सभी सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ इन परिवारों को देने की गारंटी की जाये।
इस प्रतिनिधि दल में एक्टू के राज्य सचिव महेंद्र परिदा, ‘कैम्पेन फॉर सरवाइवल एण्ड डिगनिटी’ के राज्य संयोजक नरेंद्र मोहंती, शोधकर्ता डॉ श्रीचरन बेहेरा, सामाजिक कार्यकर्ता बीरांची बरिहा, एक्टू के बारगढ़ जिले के संयोजक अश्विनी प्रधान एवं मनोरंजन नायक शामिल थे। प्रतिनिधि दल ने जिलाधिकारी से मुलाक़ात कर उन्हें मामले की गंभीरता से अवगत कराया। जिलाधिकारी ने आवश्यक कदम का आश्वासन दिया। इसके बाद बरगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का भी आयोजन किया गया।
महेंद्र परिदा एआईपीएफ ओडिसा