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2019 चुनाव के लिए भारत की जनता का घोषणापत्र: हमें 99 प्रतिशत नागरिकों का भारत चाहिये! 1 प्रतिशत का हर्गिज नहीं!! 

ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम (AIPF)

नई दिल्ली , 28 फरवरी, एआईपीएफ द्वारा आज प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आगामी लोकसभा चुनावों में जनता के वास्तविक सवालों को सामने लाने के लिए नागरिक घोषणापत्र जारी किया .

यहां जारी एक बयान में एआईपीएफ सचिवालय टीम ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव देश के लोकतंत्र के लिए निर्णायक होंगे. देशवासियों के साथ हम सब पर भी एक ऐसी सरकार के चुनाव की जिम्मेदारी रहेगी जिसमें देश के संविधान और धर्मनिरपेक्ष ढांचे को सुरक्षित रखने के साथ ही आम जन के बुनियादी सवालों को भी हल किया जा सके. इसी प्रयास में आल इंडिया पीपुल्स फोरम (आइपीएफ-AIPF) 2019 आम चुनाव के लिये भारतीय जनता का घोषणा पत्र जारी कर रहा है.

एआइपीएफ मुहिम चला रहा है कि जनता के इस घोषणापत्र को चुनाव में भाग लेने वाली सभी विपक्षी पार्टियां अपनायें. हमारी आपसे अपील है कि आप भी इस मुहिम का हिस्सा बनें.

इस अभियान को किसान आन्दोलन, मजदूर आन्दोलन, छात्र – युवा आन्दोलन, रोजगार अधिकार आन्दोलन, दलित आन्दोलन, महिला आन्दोलन, मानवाधिकार आन्दोलन, तथा अन्य नागरिक आन्दोलनों का समर्थन है.

एआईपीएफ चुनावों से पहले इस घोषणापत्र को लेकर जनता के बीच में अभियान चलायेगा और सभी विपक्षी दलों से इस घोषणापत्र को अपनाने की अपील करेगा ताकि चुनाव के बाद जो भी सत्ता में आयें उनकी जबाबदेही तय हो सके.

आपसे अपील है कि निर्णय लें. देश के इस निर्णायक क्षण में अपनी भूमिका तय करें और लोकतंत्र को बचाने की मुहिम में एआईपीएफ के साथ एकजुटता जाहिर करें.

भारत की जनता का घोषणापत्र –

2019 के चुनाव के लिये भारतीय जनता के घोषणापत्र की मुख्य बात है कि हमें 99 प्रतिशत नागरिकों का भारत चाहिये, सिर्फ 1 प्रतिशत का भारत हर्गिज नहीं. जनता की मांग है कि –

  1. राफेल, एनपीए, कर्मचारी चयन आयोग घोटाले, स्टार्ट अप इंडिया, व्यापमं, सृजन, सारधा व अन्य घोटाले के दोषियों को सजा दो. मजबूत लोकपाल की स्थापना करो. भ्रष्टाचार विरोधी कानून को कमजोर करने के प्रावधानों को वापस लो. प्राकृतिक संसाधनों की कारपोरेट द्वारा लूट को समाप्त करो. अमीरों और कारपोरेट द्वारा टैक्स और बैंकों से लिए गये लोन को वापस करने की गारंटी करो. सीआईसी, सीवीसी और दूसरी जांच एजेंसियों की स्वायत्तता की गारंटी करो.
  2. चुनावी भ्रष्टाचार को बढ़ाने वाली मोदी सरकार की चुनावी बाण्ड योजना को वापस लो. चुनावी चंदे में पूरी पारदर्शिता लागू करो. “सबसे ज्यादा वोट पाकर चुनाव जीतने” की व्यवस्था की जगह आनुपातिक प्रतिनिधित्व लागू करो. मतपत्रों से चुनाव की व्यवस्था वापस लाओ.
  3. देश के 1 प्रतिशत सर्वोच्च अमीरों की कर्ज बंद करो. उन पर टैक्स दर बढ़ाओ, सम्पत्ति कर एवं उत्तराधिकार टैक्स लगाओ.
  4. आवश्यक वस्तुओं के दाम घटाओ. सार्वभौम सार्वजनिक वितरण प्रणाली लागू करो और सभी आवश्यक वस्तुओं का वितरण सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत करो. सार्वजनिक वितरण प्रणाली को आधार से जोड़ना बंद करो. राशन की जगह खातों में पैसा भेजने की प्रक्रिया पर रोक लगाओ.
  5. मनरेगा को खेती से जोड़ कर कम से कम 250 दिनों के रोजगार की गारंटी करो. खेत मजदूरों और ग्रामीण कामगारों के लिये 500 रूपये प्रतिदिन की न्यूनतम मजदूरी की गारंटी करो. रोजगार गारंटी योजना को शहरी इलाकों में विस्तारित करो.
  6. बेरोजगारी को खत्म करो. खाली पड़े 24 लाख सरकारी पदों पर भर्ती करो. सुरक्षित व सम्मानजनक रोजगार की गारंटी करो.
  7. हर बच्चे को उसके पड़ोस में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये कॉमन स्कूल व्यवस्था लागू करो. केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा दो. अध्यापकों की भर्ती में 200 प्वाइंट रोस्टर लागू करो. निजी शिक्षण संस्थाओं और कोचिंग सेंटरों पर लगाम लगाओ. आरक्षण पूरी तरह लागू करो. कैम्पस लोकतंत्र की गारंटी करो. संस्थाओं में GSCASH का गठन करो. महिला छात्रावासों में भेदभावपूर्ण नियमों और कफ्र्यू को समाप्त करो. दकियानूसी और घृणा फैलाने वाली पाठ्यपुस्तकों को वापस लेते हुए पाठ्यक्रमों में वैज्ञानिक व तार्किक सोच को बढ़ावा देने वाली सामग्री शामिल करो. कम सीटों के चलते होने वाली होड़ को खत्म करने के लिये उच्च शिक्षा में पर्याप्त सीटों की व्यवस्था करो.
  8. सांप्रदायिक घृणा और दलितों के खिलाफ अत्याचार को रोकने में राज्य सरकार की जिम्मेदारी तय करने वाला कानून बनाओ.
  9. वन अधिकार, CNT/SPT और PESA कानून कड़ाई से लागू करो और इन कानूनों पर हमला करना बंद करो.
  10. विधान सभाओं और संसद में 33 फीसदी महिला आरक्षण कानून पारित करो.
  11. आरक्षण के संवैधानिक प्रावधानों की हिफाजत करो. सामाजिक और शैक्षिक स्तर पर उत्पीड़न और भेदभाव का सामना न करने वालों के लिये संविधान संशोधन के द्वारा आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का प्रावधान वापस लो.
  12. कश्मीर और बस्तर के नागरिक इलाकों में सैन्य हस्तक्षेप खत्म करो और कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप कश्मीर समस्या का समाधान करो.
  13. नागरिकता संशोधन कानून वापस लो, सभी राज्यों से डिटेंशन कैम्प खत्म करो. NRC को नफरत फैलाने और लोगों को बाहर करने के औजार की तरह इस्तेमाल करना बंद करो.
  14. UAPA, NSA, AFSPA, MCOCA और राजद्रोह जैसे दमनकारी कानूनों को समाप्त करो व इन कानूनों के तहत गिरफ्तार किये गये राजनीतिक बंदियों को रिहा करो.

आल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआइपीएफ) के बारे में :

मोदी ने सत्ता में आते ही विपक्षविहीन राजनीति का प्रचार करना शुरु कर दिया था, यहां तक की मीडिया के बड़े हिस्से को भी सरकार की जीहुजूरी करने वाले में तब्दील कर दिया. ऐसी स्थिति में जनता के सवालों-सरोकारों को आवाज देने के लिये 2015 में देशभर के कई प्रबुद्ध नागरिकों, जन संगठनों, सामाजिक आन्दोलनों, ट्रेड यूनियनों और राजनीतिक पार्टियों ने मिलकर एआइपीएफ का निर्माण किया ताकि भाजपा की साम्प्रदायिक और कारपोरेट-परस्त नीतियों का विरोध किया जा सके. देश के विभिन्न राज्यों उड़ीसा, छतीसगढ़, बंगाल, उतराखण्ड, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, झारखण्ड, बिहार, उत्तर प्रदेश आदि में एआइपीएफ की राज्य इकाईयां गठित हो चुकी हैं. एआइपीएफ जनता के सवालों-सरोकारों के लिये संघर्षरत विभिन्न
शक्तियों का मंच है जो आगामी चुनावों में जनता के बुनियादी सवालों को चुनावों के मुख्य एजेंडे के रूप में सामने लाकर
फासीवादी ताकतों के खिलाफ जनमानस को तैयार करने के लिए प्रयासरत है हम चुनावों के बाद भी जन संघर्षों की अपनी भूमिका जारी रखेंगे.

हम सबके लिए क्यों खास है 2019 का चुनाव :

आगामी लोकसभा चुनाव देश में अब तक हुये अन्य चुनावों की तरह के सामान्य चुनाव नहीं है.

मोदी सरकार की नीतियों के कारण आज देश में बेरोजगारी के हालात पिछले 45 सालों में सबसे बदतर हो चुके हैं. कृषि संकट चरम पर है,

किसानों की बरबादी बदस्‍तूर जारी है. छोटे व्‍यापारियों और उद्योगों को नोटबंदी और जीएसटी के बाद लगातार घाटा झेलना पड़ रहा है. खाद्य और जरूरी वस्‍तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं. संघ परिवार द्वारा महिलाओं की आजादी पर बढ़ते हमले और भाजपा व उसके नेताओं द्वारा जगह-जगह बलात्‍कारियों व यौन उत्‍पीड़कों का बचाव करते देख कर ’बेटी बचाओ’ नारा एक क्रूर मजाक से ज्‍यादा कुछ नहीं है.

राजनीति में परिवारवाद का विरोध करने का नाटक करने वाली भाजपा और मोदी के राज में नेता-पुत्रों और कॉरपोरेट घरानों की चांदी कट रही है. अमित शाह का बेटा जय शाह और अजित डोभाल का बेटा विवेक डोभाल विशालकाय घोटालों में लिप्‍त हैं.

अम्बानी-अडानी आदि को

मुनाफा पहुंचाने के लिए बड़े-बड़े घोटालों में खुद प्रधानमंत्री कार्यालय संलिप्त है.

मोदी सरकार का कुल जमा यही हासिल है कि उसने हर लोकतांत्रिक संस्‍था पर – संसद, राज्‍यों के अधिकार, सीबीआई, आरबीआई, आईबी, एनएसए, राष्‍ट्रीय सांख्यि‍कीय आयोग, योजना आयोग, न्‍यायपालिका, विश्‍वविद्यालय, विज्ञान, शिक्षा और इतिहास आदि की तमाम संस्‍थाओं और राष्‍ट्रीय परिषदों पर हमला बोल दिया है. देश के संविधान और जनता के संवैधानिक अधिकारों पर प्रहार किया है. देश को साम्‍प्रदायिक आधार पर तोड़ने की कोशिश की है, और साम्‍प्रदायिक व जातिवादी गिरोहों को देश के अल्‍पसंख्‍यकों, दलितों और महिलाओं पर हमला करने की खुली छूट ही नहीं दी है बल्कि उनको उकसाया भी जा रहा है.

मोदी सरकार से देश को बचाना आज का सबसे महत्‍वपूर्ण कार्यभार बन गया है. 2019 का चुनाव इसी लिए हम सबके लिए बेहद अहम होंगे, अब ऐसी सरकार को वापस नहीं आना चाहिए. जितनी क्षति यह सरकार देश की संस्‍थाओं और समाज के ताने-बाने को पहुंचा चुकी है उसकी भरपाई करने और लोकतंत्र को पुर्नबहाल करने व नई ऊर्जा फूंकने का कार्यभार आज देश के सामने है.

सम्‍पूर्ण विपक्ष के सामने आज इसी कार्यभार को पूरा करने की ऐतिहासिक चुनौती है. जाहिर है इसके लिए सभी को पिछले घटनाक्रम से सबक लेने होंगे और ऐसी वैचारिक, नीतिगत दिशा अपनानी होगी कि देश का लोकतंत्र मजबूत हो. देश की जनता एवं जनान्‍दोलन आगामी सरकारों को भी इसी जनपक्षधर दिशा के लिए जवाबदेह ठहरायेंगे. यह चुनाव देश के संविधान, लोकतंत्र, हमारी संस्कृति व मूल्यों को बचाने और जीवन स्तर की बेहतरी के अवसर चुनने की घड़ी है. इसी कड़ी में एआइपीएफ जनता का घोषणा पत्र जारी कर रहा है.

गिरिजा पाठक
संयोजक, एआईपीएफ
फोन .8920791096 ; वेबसाइट:  www.aipf.online
ईमेल: allindiafeoplesforum@gmail.com

 

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