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भोपाल ‘मुठभेड़’ में सर्वोच्च न्यायलय की निगरानी में न्यायिक जांच हो

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 अखिल भारतीय जन मंच (एआईपीएफ) भोपाल के पास 8 विचाराधीन आरोपियों की मुठभेड़ के नाम पर किये गए जघन्य नरसंहार  की सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में न्यायिक जाँच की मांग करता है. विभिन्न स्रोतों से सार्वजनिक तौर पर जारी किये गए वीडियो फुटेज से स्पष्ट होता है कि आठों विचाराधीन आरोपियों के पास कोई ऐसे  हथियार  नहीं थे  जिससे वे दूर से पुलिस बल पर हमला कर सकते थे । यही बात एटीएस आई.जी. द्वारा मौके पर  पहुंचने के बाद कई बार दोहराई गयी थी। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री ने भी कहा था कि आठों के पास नुकीली  चम्मचों के अलावा और कुछ नहीं था लेकिन बाद में पुलिस द्वारा दावा किया गया कि आठों के पास हथियार थे जिससे उन्होंने पुलिस दल पर हमला किया था । विचाराधीन आरोपियों के जेल से भागने की पुलिस द्धारा बताई गयी घटना भी  नाटकीय दिखलाई देती है । एआईपीएफ जेलकर्मी की हत्या की भी जाँच की मांग करता है।उल्लेखनीय है कि प्रतिबंधित संगठन सिमी के आठों सदस्यों को अब तक सजा नहीं हुयी थी। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह माना गया है कि प्रतिबंधित संगठन का सदस्य होना कोई अपराध नहीं है । हम यह लगातार देखते आ रहे हैं कि पुलिस फर्जी प्रकरण बनाकर तमाम संगठनों के कार्यकर्ताओं को विभिन्न अपराधों में षड़यंत्र पूर्वक फसाती रही है तथा कई मामलों में न्यायालयों द्वारा ऐसे निर्दोष    कार्यकर्ताओं  को दोषमुक्त भी किया जाता रहा है। अगर आठों आरोपी ‘आतंकवादी’ थे तो यह न्यायालय में सिद्ध किया जाना चाहिए था तथा न्यायालय के निर्णय के अनुसार उन्हें सजा दिलाई जानी थी । ऐसा ना करते हुए उन्हें आतंकवादी बताकर मार दिया जाना देश की न्यायिक प्रक्रिया पर  कुठाराघात है तथा संविधान की अवमानना है। जिस तरह गुजरात में फर्जी मुठभेड़ें लगातार की जाती रही हैं उस गुजरात मॉडल को मध्य प्रदेश में भी दोहराया जा रहा है.अखिल भारतीय जन मंच (एआईपीएफ) आठों आरोपियों के जघन्य नरसंहार  तथा भोपाल केंद्रीय जेल से भागने और हवालदार की हत्या की  सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में न्यायिक  जाँच की मांग करता है. मंच सरकार से जेल में लगे वीडियो  कैमरों तथा मुठभेड़ का फुटेज सार्वजनिक  किये जाने की मांग करता है.अखिल भारतीय जन मंच (एआईपीएफ)  देशभर में न्यायिक आदेशों और संवैधानिक मूल्यों की अवहेलना में लगातार सुनियोजित तौर पर किये जा रहे नरसंहारों और अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं पर चिंता व्यक्त करता है ।अखिल भारतीय जन मंच (एआईपीएफ) हाल ही में अर्धसैनिक बलों द्वारा उड़ीसा और आंध्र की सीमा पर 24 अक्टूबर को मलकानगिरी में 11 आदिवासियों तथा 28 माओवादियों, कुल मिलाकर 39 व्यक्तियों की तथाकथित मुठभेड़ में मारे जाने की घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार एफ. आई. आर. दर्ज कर निष्पक्ष न्यायिक जाँच की मांग करता है  तथा आंध्र और तेलंगाना उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार तथाकथित मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किये गए सभी माओवादी नेताओं को न्यायालय में तुरंत पेश करने की सरकार से मांग करता है।

सुनीलम्, समाजवादी समागम
डॉ. विनायक सेन
कविता कृष्‍णन (सीपीआई –एम.एल.)
एस. पी. उदयकुमार (पी.एम.ए.एन.ई.)
एन. डी. पंचोली
जॉन दयाल
उदय भट्ट (लाल निशान पार्टी, लेनिनवादी)
मंगतराम पासला (आर.एम.पी.)
गौतम मोदी (एन.टी.यू.आई.)
मो. सलीम, उत्‍तर प्रदेश
मास्‍टर रघुवीर सिंह (आर.एम.पी.)
ताहिरा हसन, उत्‍तर प्रदेश
गुरूनाम सिंह डूड (आर.एम.पी.)
विनोद सिंह झारखंड
भीम राव बंसोड (लाल निशान पार्टी, लेनिनवादी)
दयामनी बारला, झारखंड
राजीव डीमरी (एआईसीसीटीयू)
डॉ. फैसल अनुराग, झारखंड
मेहर इंजीनियर, बंगाल
कुमार सुंदरम् (सी.एन.डी.पी.)
प्रो. तुषार चक्रवर्ती, बंगाल
अंबरीश राय
प्रो.सलिल विश्‍वास, बंगाल
राधिका मेनन
एडवोकेट अजय दत्‍त, बंगाल
पंचानन सेनापति, ओडिशा
अमिय पांडा, ओडिशा
मानव जेना, ओडिशा
आम्‍लान भट्टाचार्य
पीसी तिवारी, उत्‍तराखण्‍ड परिवर्तन पार्टी
अभिजित मजूमदार, बंगाल
इन्‍द्रेश मैखुरी, उत्‍तराखण्‍ड
सव्‍यसाची देव, बंगाल
बीएल नेताम, छत्‍तीसगढ़
डा. देवाशीष दत्‍त, बंगाल
चन्‍द्रमोहन, तमिलनाडु
मो. शोएब, एडवोकेट, रिहाई मंच, उ.प्र.
विद्यासागर, तमिलनाडु
डा. संदीप पाण्‍डे
प्रो. मुरली, राज्‍य महासचिव, पीयूसीएल, तमिलनाडु
अरुन्‍धती धुरु
सिम्‍पसन, स्‍टेट कन्‍वीनर, लिबरेशन फ्रण्‍ट ऑफ ऑप्रेस्‍ड, तमिलनाडु
डा. कृष्‍णावतार पाण्‍डे, उ.प्र.
ए. मार्क्‍स, तमिलनाडु
अरिवालगन, दलित रिसर्च सेण्‍टर, तमिलनाडु
रोमा, ए.आई.यू.एफ.डब्‍ल्‍यू.पी
वासंती देवी, तमिलनाडु

 

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